बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्र बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्र
प्रश्न- चार्वाक दर्शन के ईश्वर सम्बन्धी विचार दीजिए।
उत्तर-
ईश्वर सम्बन्धी विचार (Theology )
ईश्वर पर विश्वास ईश्वरवाद कहलाता है दर्शनशास्त्र में ईश्वर की महत्ता को माना गया है जो व्यक्ति ईश्वर को नहीं मानते उन्हें अनीश्वरवादी कहा जाता है तथा उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त को भी अनीश्वरवादी सिद्धान्त कहा जाता है ईश्वर के विषय में जो दार्शनिक चर्चा की जाती है उसे ईश्वर विचार (Theology) के नाम से जाना जाता है।
चार्वाक दर्शन में ईश्वर सम्बन्धी व्याख्या से पहले ईश्वर (God) का अर्थ जानना आवश्यक है जो व्यक्ति ईश्वर के अस्तित्व को मानते हैं उनके अनुसार ईश्वर एक वास्तविकता है जैसे नदी, पहाड़, वृक्ष आदि वास्तविकता है ऐसे व्यक्ति ईश्वर के अस्तित्व के विषय में विश्वास करते हैं उनके अनुसार, ईश्वर एक वास्तविकता है। जिस प्रकार नदी, पहाड़, वृक्ष आदि वास्तविक हैं। दर्शन की शक्ति एक विशेष शक्ति में निहित होती है जिसे अन्तर्दर्शन कहते हैं ईश्वर के दर्शन उन्हीं व्यक्तियों को हो सकते हैं जिन्होंने पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया है इसलिए इसे दिग्दर्शन कहते हैं।
चार्वाक दर्शन में ईश्वर सम्बन्धी कोई नवीन विचार नहीं है चार्वक दर्शन ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता व ईश्वर के अस्तित्व के पक्ष में जितने भी विचार दिये गये हैं उनका खण्डन करता है ईश्वर के सम्बन्ध में विचार करने में चार्वाकों का काम ध्वसात्मक है, रचनात्मक नहीं अतः चार्वाकों को कट्टर अनीश्वरवादी कहा जाता है। चार्वाक दर्शन के अनुसार जिस वस्तु का ज्ञान हमें प्रत्यक्ष द्वारा नहीं होता उसे हम कभी भी वास्तविक नहीं मान सकते और ईश्वर को न हमने देखा है, न सुना है, न सूँघा है, न चखा है और न ही स्पर्श किया है। अतः चार्वाक दर्शन ईश्वर को सत्य नहीं मानता।
ईश्वर के अस्तित्व को मानने के लिए अनुमान को स्वीकार करना पड़ता है जबकि अनुमान विश्वसनीय माना नहीं जाता अतः ईश्वर अनुमान का प्रत्यक्ष ज्ञान भी हमें नहीं मिलता ईश्वर पर विश्वास करने वाले लोग ईश्वर पर अनुमान पर विश्वास करते हैं।
चार्वाक दर्शन सृष्टिवाद के सिद्धान्त को नहीं मानता अतः ईश्वर को सृष्टिकर्ता भी नहीं मानता चार्वाक दर्शन के अनुसार, पृथ्वी, हवा, जल और आग इन चारों के मेल से ही सजीव पदार्थों का निर्माण होता है इसमें ईश्वर का कोई विशेष स्थान नहीं है।
सृष्टिवाद यह मानता है कि सृष्टि की रचना खास समय में ईश्वर की इच्छा से होती है तथा ईश्वर, शाश्वत व सर्वशक्तिमान है उनका अस्तित्व दूसरे पर आश्रित नहीं है ईश्वर का स्वरूप सत् + चित + आनन्द है जबकि चार्वाक दर्शन ने इसे नहीं माना व ईश्वर के अस्तित्व को भी स्वीकार नहीं किया चार्वाकों के अनुसार, जब ईश्वर स्वयं निराकार है तो दूसरों को साकार रूप कैसे दे सकता है फिर उसे सृष्टिकर्ता कैसे कहा जा सकता है। संसार की घटनाओं का नियमित होना भी ईश्वर के अस्तित्व का सबूत नहीं है तथा ऋतुओं का आना जाना भी ईश्वर पर निर्भर है परन्तु चार्वाक इसे नहीं मानते वह कहते है कि नियमों के कारण ईश्वर के अस्तित्व को मानने की आवश्यकता नहीं है तथा प्रकृति का नियमित होना उसका स्वाभाविक गुण हैं जैसे चीनी मीठी होती है यह चीनी का स्वाभाविक गुण है अतः संसार में जितनी घटनायें घटित होती हैं वे सभी प्राकृति के स्वाभाविक गुण के कारण घटित होती हैं।
चार्वाक दर्शन में मोक्ष, स्वर्ग तथा धर्म की बेकार बातें हैं मोक्ष का सम्बन्ध आत्मा से होता है. चार्वाक दर्शन आत्मा के अस्तित्व को नहीं मानता चार्वाक दर्शन के अनुसार जब आत्मा ही नहीं है तो उसके मोक्ष का प्रश्न कहा उठता है चार्वाक दर्शन में स्वर्ग की भी आलोचना की गई है आमतौर पर कहा जाता है कि व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक की प्राप्ति करते हैं। चार्वाक दर्शन ने प्रत्यक्ष ही ज्ञान की प्राप्ति का साधन माना है उनके अनुसार हम स्वर्ग या नरक नहीं देख सकते यह केवल काल्पनिक है तथा संसार की वास्तविक कठिनाइयों से बचने के लिए लोग इसे पेश करते हैं। चार्वाक दर्शन में धर्म को बेकार समझा जाता है धर्म अदृश्य शक्ति में विश्वास है धर्म के द्वारा भरोसा करने के लिए कहा जाता है वहा महापुरुषों की बातें सत्य माननी पड़ती है परन्तु चार्वाक दर्शन ने वेद, पुराण, यज्ञ, प्रथा, बलि प्रथा, प्रार्थना आदि सभी धार्मिक क्रिया-कलापों की निन्दा की है।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि क्या है तथा भारत के कुछ प्रमुख दार्शनिक सम्प्रदाय कौन-कौन से हैं? भारतीय दर्शन का अर्थ एवं सामान्य विशेषतायें बताइये।
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- प्रश्न- क्या भारतीय दर्शन जीवन जगत के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण अपनाता है? विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में भारतीय तथा पाश्चात्य दृष्टिकोणों की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन किसे कहते हैं? चार्वाक दर्शन में प्रमाण पर विचार दीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में तत्व सम्बन्धी बातों पर निबन्ध लिखिये।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के ईश्वर सम्बन्धी विचार दीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में प्रमाण विचारों का अर्थ बताइए तथा साधनों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिये।
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- प्रश्न- चार्वाक के भौतिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक की तत्व मीमांसा का स्वरूप क्या है?
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
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- प्रश्न- ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रमाणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के प्रत्यक्ष प्रमाण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के आत्मा सम्बन्धी विचार दीजिए।
- प्रश्न- सुख प्राप्ति ही जीवन का अन्तिम उद्देश्य है। बताइये।
- प्रश्न- चार्वाक के ज्ञान सिद्धांत की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "चार्वाक की तत्वमीमांसा उसकी ज्ञान मीमांसा पर आधारित है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन महावीर के जीवन वृत्त तथा शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में जैन धर्म के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन में स्याद्वाद किसे कहते हैं?
- प्रश्न- जैन दर्शन के सात वाक्य भंगीनय लिखिए।
- प्रश्न- सात वाक्यों का आलोचनात्मक दृष्टिकोण से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैनों के बन्धन तथा मोक्ष सम्बन्धी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार द्रव्य का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- द्रव्य के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- द्रव्य को आकृति द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जीव अथवा आत्मा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अजीव द्रव्य क्या है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन में जीव का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- जैन दर्शन के द्रव्य सिद्धान्त की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैन धर्म के पतन के कारण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म व बौद्ध धर्म में समानताओं और असमानताओं का तुलनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म की शिक्षाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- पुद्गल किसे कहते हैं?
- प्रश्न- जैन नीतिशास्त्र और धर्म पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जैन धर्म के पाँच महाव्रत बताइए।
- प्रश्न- जैन धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय बताइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का सामान्य स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सांख्य की 'प्रकृति' तथा वेदान्त की 'माया' के बीच सम्बन्ध की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गौतम बुद्ध के जीवन एवं उपदेशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के उत्थान व पतन के क्या कारण थे? समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में बौद्ध धर्म का योगदान बताइये।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन से क्या आशय है?
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बुद्ध ने कौन से दुःख के कारणों के चक्र बताए? बौद्ध दर्शन के तृतीय आर्य सत्य की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म पर लेख प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के चार सम्प्रदाय लिखिए।
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- प्रश्न- बौद्ध धर्म के महत्त्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के अनुसार निर्वाण प्राप्ति के अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में निर्वाण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- बौद्ध संगीतियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाजनपदों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धान्त क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति को बौद्ध धर्म की क्या देन थी?
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- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार प्रकृति की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार प्रकृति के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सत्, रज और तम गुण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रकृति के गुणों के क्या परिणाम होते हैं?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार सत्कार्यवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के तत्व सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृति तथा पुरुष का अर्थ तथा सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- ज्ञानेन्द्रियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पुरुष के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। पुरुष के अस्तित्व के लिए सांख्य द्वारा दिये गये तर्कों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य ज्ञानमीमांसा की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- पंतजलि ने योग सूत्रों को कितने भागों में बाँटा?
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- प्रश्न- योग' से आप क्या समझते हैं? योग साधना के विभिन्न सोपानों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
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- प्रश्न- न्याय दर्शन से ईश्वर किन रूपों में कार्य करता है।
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- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान' के स्वरूप और प्रकारो की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- प्रमा को परिभाषित करते हुए प्रमा के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- 'न्याय दर्शन' में 'अनुमान प्रमाण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए एवं अनुमान प्रमाण के प्रकारान्तर भेदों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- न्यायदर्शन में उपमान प्रमाण का क्या स्वरूप है? न्याय दर्शन में उपमान प्रमाण का स्वरूप
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- प्रश्न- समानतन्त्र के रूप में न्याय वैशेषिक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन के पदार्थों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वैशेषिक द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में कितने गुण होते हैं?
- प्रश्न- कर्म किसे कहते हैं? व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन क्या है? न्याय दर्शन और वैशेषिक दर्शन में आपस में क्या सम्बन्ध है? वैशेषिक दर्शन में सात प्रकार के पदार्थ बताइए।
- प्रश्न- व्याप्ति क्या है? व्याप्ति की स्थापना किस प्रकार होती है?
- प्रश्न- 'गुण' और 'कर्म' पदार्थों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक दर्शन के स्वरूप पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक दर्शन में अनुमान का क्या स्वरूप है?
- प्रश्न- समानतन्त्र के रूप में न्याय वैशेषिक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संयोग और समवाय पर टिप्पणी लिखिए।
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